भारत एक कृषि प्रधान देश है, जो देश कृषि पर निर्भर होता है, तो उस देश में भूमि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है | लेकिन भारत जैसे ज्यादा आबादी वाले देश में भूमि अब एक दुर्लभ संसाधन बन गया है | देश के कुछ क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे के विकास करने हेतु सरकार द्वारा निजी स्वामित्व वाली भूमि का अधिग्रहण किया जाता है, जिसका उपयोग सार्वजानिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है |
संविधान में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार का उल्लेख किया गया है | भूमि अधिग्रहण कानून में एक नई प्रक्रिया लाने तथा इसे मजबूत बनाने के लिए पुरातन भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की जगह ली है | अगर सीधे तौर पर कहा जाए तो ‘देश के किसी भी राज्य द्वारा उचित न्यायिक प्रक्रिया का सही पालन किये बिना, देश के नागरिकों की निजी संपत्ति से ज़बरन वंचित करना मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300A के अंतर्गत प्राप्त संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होता है |
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यदि आप भी जानना चाहते है कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम क्या है, Land Acquisition Act in Hindi (Bhumi Adhigrahan Bill) इसके विषय में जानना चाहते है तो यहाँ पर जानकारी दी जा रही है | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य संविधान की महत्वपूर्ण बातों और उसकी प्रमुख विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से संविधान के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) होता क्या है?
भूमि अधिग्रहण का सीधा मतलब देखा जाये तो भूमि खरीद की प्रक्रिया से किया गया है, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार या राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक हित के लिए क्षेत्र के बुनियादी विकास, औद्योगीकरण या अन्य गतिविधियों को मजबूत बनाने के लिए, संवैधानिक नियमानुसार नागरिकों की निजी संपत्ति का अधिग्रहण करती हैं | इसके अंतर्गत प्रभावित होने वाले लोगों को उनके भूमि के मूल्य के साथ उनके पुनर्वास हेतु मुआवज़ा भी प्रदान किया जाता है।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act) क्या है?
भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act), यानि कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में सही मुआवजे (Compensation) और पारदर्शिता (Transparency) का अधिकार भी माना जाता है, भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रण में रखता है | यह अधिनियम भूमि मालिकों को सही पारिश्रमिक देने हेतु, तथा व्यवस्था में पारदर्शिता (Transparency) लाने और सरकार (Govt) को अप्रत्यक्ष (Indirect) रूप से उन लोगों को पुनर्वासित (Rehabilitated) करना है, जो सबसे अधिक प्रभावित होता हैं, क्योंकि उसकी भूमि पर कब्जा कर लिया जाता है |
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भूमि अधिग्रहण अधिनियम की समय सीमा (Land Acquisition Act Deadline)
- 7 सितंबर, वर्ष 2011 में भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition), पुनर्वास और पुनर्वास विधेयक, 2011, लोकसभा में पेश किया गया।
- 29 अगस्त, वर्ष 2013 में विधेयक लोकसभा (Lok Sabha Bill) में पारित हुआ |
- 4 सितंबर, वर्ष 2013 में विधेयक राज्यसभा (Rajy Sabha Bill) में पारित हुआ |
- 27 सितंबर, वर्ष 2013 में बिल (Bill) प्राप्त करके राष्ट्रपति की मंजूरी मिली |
- 1 जनवरी, वर्ष 2014 में भूमि अधिग्रहण अधिनियम (Land Acquisition Act) लागू हुआ |
- 30 मई, वर्ष 2015 में राष्ट्रपति संशोधन (Presidential Amendment) को बढ़ावा देता है |
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भूमि अधिग्रहण के लिये कानूनी प्रावधान (Legal Provisions For Land Acquisition)
ब्रिटिश काल में ऐसे अनेक प्रावधान व कानून बनाए गए, जिन्हें लगाकर ब्रिटिश सरकार (British Govt) ने आसानी से भू-मालिकों की ज़मीनो पर बिना स्वामी की अनुमति के जब्त किया |
भारत में भी कई अन्य महत्त्वपूर्ण कानूनों की तर्ज पर ही लंबे समय तक, भूमि अधिग्रहण अधिनियम-2013 लागू होने तक ब्रिटिश काल के ही भूमि अधिग्रहण कानून यानि कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 का अनुसरण किया गया |
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भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894
भूमि अधिग्रहण अधिनियम-1894 के अंतर्गत कुछ सामान्य प्रक्रियाओं के द्वारा सरकार सरलता से किसी भी भूमि पर कब्जा करके अधिग्रहण कर सकती थी | इस अधिनियम के मुताबिक, भूमि अधिग्रहण की कुछ महत्त्वपूर्ण अनिवार्यताएँ इस प्रकार हैं :-
- सबसे प्रथम कि भूमिअधिग्रहण सार्वजनिक उद्देश्य (Public Purpose) के लिये किया जा रहा हो |
- इसमें यह भी ध्यान में रखा जाता है कि भूमि अधिग्रहण के लिये भू-स्वामी को उचित मुआवज़ा (Compensation) दिया गया हो |
- अधिग्रहण के समय अधिनियम (Act) में निर्धारित प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया गया हो |
- भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया (Land Acquisition Process)
- भूमि अधिग्रहण के प्रोसेस में राज्य (State) अथवा केंद्र सरकार (Central Govt) के निर्देश पर एक ‘भूमि अधिग्रहण अधिकारी’ यानि कि जिला अधिकारी या फिर कलेक्टर को नियुक्ति किया जाता है।
- भूमि अधिग्रहण अधिकारी (Land Acquisition Officer) की निगरानी में प्रस्तावित की गई भूमि का निरीक्षण कर अधिनियम (Act) के अनुच्छेद 4 के अंतर्गत आधिकारिक गज़ट, स्थानीय समाचार-पत्रों व अन्य माध्यमों से संबंधित अधिसूचना जारी करता है |
- अधिनियम के अनुच्छेद (Article of the Act) -5(A) के मुताबिक, अधिसूचना जारी हो जाने के बाद कोई भी व्यक्ति प्रस्तावित की गई भूमि पर मुआवज़े (Compensation) अथवा अन्य किसी विवाद समबन्धित आवेदन करने का हकदार होता है |
- भूमि अधिग्रहण अधिकारी (Land Acquisition Officer) द्वारा मुआवज़े (Compensation) व अन्य विवादित मामलों का निपटारा एक वर्ष के भीतर करना अनिवार्य किया गया है।
- भूमि अधिग्रहण के दौरान अगले चरण के तहत सरकार द्वारा प्रदान की गई अनुमति के आधार पर अधिकारियों अथवा कंपनी द्वारा प्रस्तावित क्षेत्र पर बाड़ (Fencing) लगाया जा सकता है |
- इस प्रक्रिया के अंतिम चरण में एक बार पुनः सभी विवादित मामलों का निपटारा करके भूमि को परियोजना हेतु सौंप दिया जाता है |
- इसके अलावा अधिनियम (Act) में अपवाद के रूप में कुछ ‘इमरजेंसी क्लॉज़ (Emergency Clause)’ को भी चिन्हित किया गया था, जिसका प्रयोग करके सरकार पूर्ण रूप से अनिवार्य प्रक्रिया का पालन किये बिना भी भूमि अधिग्रहण का अधिकार रखती है |
- इस दौरान सरकार का और सभी संबंधित अधिकारीयों का उद्देश्य सभी को संतुष्ट रखकर भूमि अधिग्रहण करना होता है |
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उपरोक्त वर्णन से आपको आज भूमि अधिग्रहण अधिनियम क्या है | Land Acquisition Act in Hindi (Bhumi Adhigrahan Bill) इसके बारे में जानकारी हो गई होगी | भूमि अधिग्रहण अधिनियम क्या है | Land Acquisition Act के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इससे सम्बन्धित या अन्य किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |
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Mere gaw me ek Nadi par pul aur sadak Bani hai kintu mujhe muawaja nhi Mila hai dhara 24 ke tahat simankan Karaya hu Usme prabhawit hai ab PWD muaja nhi dena chaha Raha hai Nirman 2016 me hua hai
aap muwavje ke liye case file kre..
सर जी हमारे राजस्थान में जालौर के सांचौर में भारतमाला प्रोजेक्ट सागरीया से जामनगर हाईवे में जमीन अधिग्रहण किया गया है उसके मुहावजा बाजार भाव से चार गुना कि मांग रखी है वो कलेक्टर में आर्बिट्रेशन में मुहावजे कि मांग रखी है और हमारे गांव में पैंतीस लाख एक बीघा जमीन कि रजिस्ट्री है अगर कलेक्टर राशि नहीं बढ़ाते तों आगे हाईकोर्ट जा सकतें हैं और आर्बिट्रेशन में जाना सही फैसला है
yes…you can…