एक लॉ के स्टूडेंट के लिए जितनी भी भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराएं हैं उनके बारे में हम आपके लिए बहुत ही सहज रूप से उनको यहाँ इस पोर्टल पर प्रस्तुत कर रहे है | ये महत्वपूर्ण धाराएं जो की एग्जाम की दृस्टि से तो महत्वपूर्ण है ही साथ ही हमारे डेली लाइफ में भी इन धाराओं के बारे में जानना बहुत आवश्यक है |
यहाँ आज इस पेज पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 2 में क्या परिभाषित (डिफाइन) किया गया है इसको यहाँ हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारतीय दंड सहिता (IPC) की धारा 2 किस प्रकार से दी गई है यहाँ आप देख सकते हैं | भारतीय दंड संहिता यानि कि आईपीसी (IPC) की धारा 2 क्या है, इसके बारे में भी आप यहाँ जानेंगे |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ धारा 2 क्या बताती है ? इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य धाराओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 2 के अनुसार :-
भारत के भीतर किए गए अपराधों का दण्ड –
“हर व्यक्ति इस संहिता के उपबन्धों के प्रतिकूल हर कार्य या लोप के लिए जिसका वह भारत के भीतर दोषी होगा, इसी संहिता के अधीन दण्डनीय होगा अन्यथा नहीं”।
S. 2 – “Punishment of offences committed within India“–
“Every person shall be to punishment under this Code and not otherwise for every act or omission contrary to provisions thereof, of which he shall be guilty within India”.
मित्रों उपरोक्त वर्णन से आपको आज भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 2 के बारे में जानकारी हो गई होगी | इसमें क्या अपराध बनता है कैसे इस धारा को लागू किया जायेगा | इस अपराध को कारित करने पर क्या सजा होगी ? इन सब के बारे में विस्तार से हमने उल्लेख किया है, यदि फिर भी इस धारा से सम्बन्धित या अन्य धाराओं से सम्बंधित किसी भी प्रकार की कुछ भी शंका आपके मन में हो या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स के माध्यम से अपने प्रश्न और सुझाव हमें भेज सकते है | इसको अपने मित्रो के साथ शेयर जरूर करें |