वसीयत (Will) क्या होती है | प्रकार | वसीयत कैसे लिखी जाती है


दोस्तों हम चाहे आधुनिक युग की बात करें या फिर प्राचीन काल की, कानूनों के बारे में हम अक्सर देखते और सुनते हैं, लेकिन साधारण जनमानस इन कानूनों के बारे में या तो बिलकुल नहीं जानता है या फिर थोड़ा बहुत जानता है जिसका केवल एक मात्र कारण हमारे कानूनों की भाषा का जटिल होना | हमने इसी बात को ध्यान में रख कर सरल और बिलकुल आम जनमानस की भाषा में आपके लिए अपने इस लॉ पोर्टल Nocriminals.org  पर “कानून के विभिन्न पहलुओं को समझाने का प्रयास करेंगे |

संपत्ति ऐसी चीज है, जिसके कारण पारिवारिक मतभेद और झगड़ें होना एक आम बात हो गयी है | यदि हम एक नजर न्यायालय में लंबित पड़े मुकदमों पर डाले तो उसमें सबसे अधिक मुकदमें संपत्ति के कारण उपजे विवाद से सम्बंधित होते है | ऐसे में यदि आप अपनें परिवार को किसी तरह की कलह या पारिवारिक झगड़ें से बचाना चाहते है, तो आप इसके लिए एक वसीयतनामा लिख सकते हैं।

जब किसी परिवार के मुखिया या पारिवारिक सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो उनके वारिसों के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर ऐसी लड़ाई छिड़ जाती है कि वह एक-दूसरे की जान लेने तक तैयार रहते है| यह पारिवारिक झगड़ें काफी लंबे समय तक चलते रहते है| इसके साथ-साथ वारिसों को संपत्ति पर अपना अधिकार सिद्द करनें के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेजो को प्रस्तुत करना होता है| ऐसे में यदि वसीयत लिखी हो, तो इस प्रकार के पारिवारिक झगड़े को समाप्त किया जा सकता है| आखिर यह वसीयत (Will) क्या होती है, इसके प्रकार और वसीयत कैसे लिखी जाती है? इसके बारें में आपको यहाँ विस्तार से जानकारी दे रहे है |



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वसीयत क्या होती है

भारत में वसीयत शब्द बहुत ही प्रचलित शब्द है, इस शब्द का इस्तेमाल संपत्ति के संबध में किया जाता है | वसीयत को अंग्रेजी में विल (Will) कहते हैं | वसीयत एक प्रकार का कानूनी दस्तावेज होता है, जो किसी संपत्ति के मालिक द्वारा उसकी मृत्यु के उपरांत संपत्ति के उत्तराधिकारियों का निर्धारण करता है| वसीयत लिखनें वाला व्यक्ति अपने जीवित रहते हुए इसमें कभी भी बदलनें के साथ ही निरस्त भी कर सकता है | 

भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम 1952  की धारा 2 (h) के अनुसार वसीयत या इच्छापत्र का अर्थ ‘किसी व्यक्ति द्वारा अपनी जो संपत्ति के संबंध में वह इच्छा करता है कि यह उसकी मृत्यु के पश्चात् कार्यान्वित की जाए’ संछेप में इसका मतलब है कि जब कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी चल या अचल संपत्ति का अधिकार किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपता है, उसे वसीयत कहते है |

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चल और अचल संपत्ति क्या है

वसीयत चल संपत्ति और अचल संपत्ति दोनों पर की जा सकती है| ऐसी वस्तुएं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है, उसे चल संपत्ति कहते हैं जैसे- वाहन, पशु आदि|  ऐसी वस्तुएं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है, उन्हें अचल संपत्ति कहते है जैसे- भूमि, मकान, पेड़ इत्यादि | 

वसीयत के प्रकार

मुख्य रूप से वसीयत दो प्रकार की होती है- 

  • विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत
  • आम वसीयत
  • विशेषाधिकार युक्त वसीयत अनौपचारिक वसीयत होती है, जो कि थल सैनिक, वायु सैनिक और जल सैनिक के लिए होती है। विशेषाधिकार प्राप्त वसीयत में व्यक्ति अपनी मृत्यु से कुछ समय पहले लिखित या मौखिक वर्णन के आधार पर वसीयत बनवा सकता है।
  • आम वसीयत में पहले अनेक प्रकार की औपचारिकताओं का पालन करनें के साथ ही इसमें वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर अनिवार्य होते हैं। यदि वसीयत करनें वाला व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है, तो वसीयतकर्ता की उपस्थिति में कोई अन्य व्यक्ति उनके स्थान पर हस्ताक्षर कर सकता है।

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वसीयत लिखने की शर्ते

वसीयत लिखने के लिए कुछ क़ानूनी बातों का पालन करना होता है, जो भारतीय उत्तराधिकारी अधिनियम 1952 के अनुसार इस प्रकार है-

  • वसीयत करनें वाले व्यक्ति की आयु 18 वर्ष होना आवश्यक होता है |
  • वसीयत लिखित में होनी चाहिए | 
  • वसीयत में वसीयत करनें वाले व्यक्ति के साथ ही दो गवाहों के हस्ताक्षर होने चाहिए |

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वसीयत कैसे लिखी जाती है

भारत में वसीयत लिखनें का चलन बहुत कम है, क्योंकि हमारे यहाँ यह परंपरा नहीं है | इसका मूल कारण है कि इसके बारें में लोगो को पूरी जानकारी न होना| जब कोई व्यक्ति अपनी वसीयत बनानें के बारें में सोचता है, तो उसके मन में सबसे पहले वकील का ख्याल आता है | जबकि वकील के बिना भी वसीयत लिखी जा सकती है, क्योंकि वसीयत बनाना एक साधारण प्रक्रिया है और इसके लिए एक कागज़ और पेन की आवश्यकता होती है। वसीयत लिखनें की प्रक्रिया इस प्रकार है-

  • भारतीय कानून के अंतर्गत वसीयत लिखने का कोई निर्धारित प्रारूप या फॉर्मेट नहीं है।
  • वसीयत में सबसे पहले आप नाम, उम्र और निवास स्थान के बारें में लिखे |
  • इसके पश्चात आप अपनी सभी संपत्तियों का पूरा ब्यौरा दे, इसके आलावा यदि आपने कोई  सम्पति किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिल कर भागीदारी में खरीदी है तो अपने भाग का भी विवरण दे |
  • इसके बाद आप अपनी संपत्ति को कितनें लोगो और किस अनुपात में दे रहे है, उसका विवरण लिखे | यदि आप किसी की अपनी संपत्ति में कुछ भी नहीं दे रहे है तो उसका भी विवरण दे |  
  • यदि आप किस अन्य व्यक्ति को अपनी संपत्ति देना चाहते है, जो आपके परिवार का नही है तो उसका भी विवरण दें |  
  • यदि आप किसी सम्पति के बारे में शर्त या नियम रखना चाहते है, तो उसका विवरण दे |
  • यदि आपके द्वारा लिखी गयी शर्तों या नियमों का पालन न किये जानें पर उस संपत्ति का क्या होगा? इसके बारें में विवरण दे | 
  • इसके बाद आप अपने व अपने दो साक्षियों के साथ उस पर तारीख के साथ हस्ताक्षर करे |

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वसीयत से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी

  • वसीयत बनानें को लेकर आपके मन में किसी प्रकार डरने, उलझन या चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कुछ ऐसी चीज़ें हैं जिन पर वसीयत बनाने से पहले आपको ध्यान देना होगा।
  • यदि वसीयत पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर के साथ ही प्रमाण के लिए दो गवाहों के हस्ताक्षर होनें पर वह एक वैध वसीयत बन जाती है |
  • यदि वसीयतकर्ता वसीयत लिखनें में असमर्थ है, तो अन्य कोई व्यक्ति वसीयत लिख सकता है| वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर की जगह अंगूठे का निशान लेना आवश्यक है, साथ ही प्रमाण के लिए दो गवाहों के हस्ताक्षर होनें के बाद इसे एक इसे एक वैध दस्तावेज़ माना जायेगा |     
  • यदि गवाह भी हस्ताक्षर करनें में सक्षम नहीं है तो वह अपने अंगूठे का निशान लगा सकते हैं।
  • वसीयत एक कानूनी दस्तावेज़ के रूप में पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 18 के तहत वैकल्पिक रूप से पंजीकृत किया जा सकता है, हालांकि इसे पंजीकृत या नोटराइज करवाने की कोई बाध्यता नहीं है।
  • वसीयत लिखनें वाला व्यक्ति अपनी वसीयत को कभी भी बदल या निरस्त कर सकता है, चाहे वह वसीयत पंजीकृत हो चुकी हो |

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वसीयत लिखनें में इन बातों का रखे ध्यान

  • वसीयत लिखनें से पहले अपनी अपनी सभी संपत्तियों का एक विवरण तैयार कर लेना चाहिए, जिसमें बीमा पॉलिसी, चल-अचल संपत्ति का विवरण शामिल हो |  
  • आप अपनी संपत्ति में कितनें लोगो को शामिल करना चाहते है, ऐसे व्यक्तियों की एक सूची बना लेना चाहिए|
  • आप अपनी संपत्ति का कौन सा हिस्सा और किस अनुपात में में देना चाहते हैं, इसका निर्धारण पहले से कर लेना चाहिए |
  • वसीयत लिखनें में सरल और स्पष्ट भाषा शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि बाद में किसी प्रकार के विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो |
  • यदि संपत्ति अधिक है और वसीयत के बाद भी विवाद की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना हो तो अपने किसी विश्वासपात्र व्यक्ति को निष्पादक नियुक्त कर देना चाहिए।
  • वसीयत के प्रत्येक पेज पर वसीयतकर्ता के हस्ताक्षर होना अनिवार्य होता है।
  • वसीयत में दो गवाहों के हस्ताक्षर अनिवार्य रूप से होनें चाहिए, गवाह बनाये गये व्यक्ति आपके परिचित होनें के साथ ही ऐसे व्यक्ति होनें चाहिए जिनका वसीयत में कोई हित न हो।   
  • वसीयत का पंजीकृत या नोटरी कराना आवश्यक नहीं है, परन्तु आगे भविष्य में कभी विवाद से बचनें के लिए पंजीकृत अवश्य करा लेना चाहिए, इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि यदि आपकी वसीयत गुम हो जाती है तो उसकी प्रति प्राप्त की जा सकती है |  

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