हम देखते हैं कि 1947 में जब देश आजाद हुआ और उसके बाद 1950 में जब देश का अपना संविधान लागू होने पर भी देश में कुछ लोग अपने अधिकारों से वंचित रहे। भारतीय संविधान द्वारा कुछ विशेष वर्ग जैसे अति पिछड़ा, दलित आदि को समानता का मौलिक अधिकार मिला था लेकिन फिर पर यह वर्ग लगातार भेदभाव का शिकार होता रहा। अगर इनके आर्थिक स्थिति की बात करें तो वो भी जस की तस बनी रही और साथ मे सामाजिक स्थिति भी बेहद ही खराब थी। इसीलिए सरकार द्वारा एससी एसटी एक्ट लाने की जरूरत पड़ी |
इस पोर्टल के माध्यम से यहाँ इस पेज पर SC ST Act in Hindi | एससी एसटी अधिनियम (एक्ट) क्या है | इसमें सजा का क्या प्रावधान है इसकी जानकारी और इसके बारे में पूर्ण रूप से बात होगी | साथ ही इस पोर्टल www.nocriminals.org पर अन्य अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराओं के बारे में विस्तार से बताया गया है आप उन आर्टिकल के माध्यम से अन्य अधिनियम के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं |
एससी/एसटी एक्ट 2020 क्या है हिंदी में
आपको बता दें कि अनुसूचित जाति (Schedule Caste) और अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) के लिये बहुत तरह के सामाजिक आर्थिक बदलावों के बावजूद भी सिविल अधिकार कानून 1955 व भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 के प्रावधान इस वर्ग के लोगों की समस्याओं को सही तरीके से संबोधित नहीं कर पा रहे थे, इसको देखते हुए संसद ने वर्ष 1989 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 पारित किया। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने पर 30 जनवरी 1990 को यह कानून जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू कर दिया गया था।
यह अधिनियम इस बात का प्रावधान करता है कि जब भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अतिरिक्त कोई व्यक्ति किसी भी तरह से किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करेगा, तो उसके विरुद्ध यह कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
Juvenile Justice Act 2000 in Hindi
एससी/एसटी एक्ट कब लगता है
कभी भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अतिरिक्त कोई व्यक्ति किसी भी तरह से किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग से संबंध रखने वाले किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करेगा, तो उसके विरुद्ध यह कानूनी कार्यवाही की जाएगी |
भारत सरकार ने दलितों पर होने वालें विभिन्न प्रकार के अत्याचारों को रोकनें के लिए भारतीय संविधान की अनुच्छेद 17 के आलोक में यह विधान पारित किया। दलितों पर अत्याचार के विरूद्ध कठोर दंड का प्रावधान किया गया हैं। इस अधिनिमय के अन्तर्गत आने वालें अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और समझौता योग्य नहीं होते हैं।
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एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून 2018
एक मामले में, SC ने कहा कि –
“सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी और इसके तहत मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी। जस्टिस एके गोयल और यूयू ललित की बेंच ने कहा था कि सात दिनों के भीतर शुरुआती जांच ज़रूर पूरी हो जानी चाहिए।“
सर्वोच्च न्यायालय का पूर्ववर्ती निर्णय
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2018 को सुभाष काशीनाथ बनाम महाराष्ट्र राज्य के वाद में निर्णय देते हुए यह प्रावधान किया कि–
“एससी/एसटी कानून के मामलों की जाँच कम से कम डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा की जाएगी। पहले यह कार्य इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी करता था। यदि किसी आम आदमी पर एससी-एसटी कानून के अंतर्गत केस दर्ज होता है, तो उसकी भी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी बल्कि इसके लिये जिले के SP या SSP से अनुमति लेनी होगी।
किसी व्यक्ति पर केस दर्ज होने के बाद उसे अग्रिम जमानत भी दी जा सकती है।
अग्रिम जमानत देने या न देने का अधिकार दंडाधिकारी के पास होगा। अभी तक अग्रिम जमानत नहीं मिलती थी तथा जमानत भी उच्च न्यायालय द्वारा दी जाती थी।
किसी भी सरकारी कर्मचारी/अधिकारी पर केस दर्ज होने पर उसकी गिरफ्तारी तुरंत नहीं होगी, बल्कि उस सरकारी अधिकारी के विभाग से गिरफ्तारी के लिये अनुमति लेनी होगी।
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न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि यह जाँच पूर्ण रूप से समयबद्ध होनी चाहिये। जाँच किसी भी सूरत में 7 दिन से अधिक समय तक न चले। इन नियमों का पालन न करने की स्थिति में पुलिस पर अनुशासनात्मक एवं न्यायालय की अवमानना करने के संदर्भ में कार्यवाई की जाएगी। “
अधिकारों के संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
“जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, ‘एससी/एसटी ऐक्ट के तहत कोई अपराध इसलिए नहीं स्वीकार कर लिया जाएगा कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति का है, बशर्ते यह यह साबित नहीं हो जाए कि आरोपी ने सोच-समझकर शिकायतकर्ता का उत्पीड़न उसकी जाति के कारण ही किया हो।
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अनुसूचित जाति/जनजाति(अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अनुसार उत्पीड़ित अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न की घटनाओं में आर्थिक सहायता विभिन्न चरणों में दिये जाने का प्रावधान है। आपको बता दें कि अनुसूचित जाति के उत्पीड़ित व्यक्ति द्वारा एफ० आई० आर० (FIR) दर्ज करने पर विभाग द्वारा प्रथम चरण में लाभार्थी को त्वरित आर्थिक सहायता पहुचाने का प्राविधान किया गया है, सामान्यता यहाँ अपराध सिद्व होने की स्थिति में उत्पीडित व्यक्ति को रू. 40000/- से रू. 500000/- तक आर्थिक सहायता दिये जाने का प्राविधान है।
SC St Act 1989 Full Form in Hindi
आइये जानते हैं SC St Act की फुल फॉर्म क्या होती है इसे यानि SC St Act को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम 1989 कहते है, ये RTI Act भारत के सभी नागरिकों पर लागू है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम 1989 में 5 अध्याय तथा कुल 23 धाराएं हैं।
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अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम की धाराएं | Sc St Act 1989 Section List
1-संक्षिप्त नाम, विस्तारऔर प्रारम्भ
3-अत्याचार के अपराधों के लिए दंड
4-कर्तव्यों की उपेक्षा के लिए दंड
5-पश्चातवर्ती दोषसिद्धि के लिए वर्धित दंड
6-भारतीय दंड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना
7-कतिपय व्यक्तियों की संपत्ति का समपहरण
9-शक्तियों का प्रदान किया जाना
10-ऐसे व्यक्ति का हटाया जाना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम
12-ऐसे व्यक्तियों के, जिनके विरुद्ध धारा 10 के अधीन भावेश किया गया है, माप गौर फोटो आदि लेना
13-धारा 10 के अधीन आदेश के अनुपालन के लिए शास्ति
16-राज्य सरकार की सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति
17-विधि और व्यवस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्यवाही
18-अधिनियम के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों को संहित की धारा 438 का लागू न होना
20-अधिनियम का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम
21-अधिनियम का प्रभावी क्रियान्च्यन सुनिश्चित करने का सरकार का कर्तव्य
22-सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण
Respected Sir/Madam,
I am Indrani Devi and belongs to scheduled cast. My tenant who is belongs to General cast (Jaat) has not paying house rent since last 3 months. Nor he is vacating the house. Can i should file a FIR under SC/ST Act against him.
(Indarani Devi)
YOU CAN REGISTERED COMPLAIN….BUT NOT IN U/S SC/ST Act