Code of Criminal Procedure
कभी कभी आप दंड प्रक्रिया शब्द के बारे में सुनते होंगे क्या आप ठीक प्रकार से जानते है क्या है आखिर ये दंड प्रक्रिया अगर नहीं जानते तो परेशानी की कोई बात नहीं, आज हम आपको यहाँ इस पेज पर न सिर्फ दंड प्रक्रिया के बारे में बताएँगे बल्कि इसके बारे में पूरे विस्तार से चर्चा करेंगे | अगर आप ध्यान से इसको पढ़ेंगे तो मुझे पूरा विश्वास है कि आप दंड प्रक्रिया के बारे में अपनी अच्छी समझ विकसित कर पाएंगे | यहाँ आप ये समझेंगे कि किस अपराध के लिए किसी धारा के लगाये जाने पर दंड देने का विधान और उसकी क्या प्रक्रिया होती है | आपको यहाँ ये भी पता चलेगा कि अपराधी को न्यायालय किस प्रिक्रिया के तहत जेल भेजता है या अगर कोई निर्दोष पाया जाता है तो फिर कैसी प्रक्रिया को अपनायी जाती है |
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यहाँ आप ये भी जानेगे कि जज के सामने अपराधी को किस तरह और कब पेश किया जायेगा इन सबके बारे में आपको हमारे इस पोर्टल पर सभी प्रकार की जांनकारी मिलेगी | तो अब हम आइये जानते हैं इस लेख में CrPC का क्या मतलब होता है, CrPC का फुलफॉर्म क्या होता है |
सी.आर.पी.सी (CrPC) का क्या मतलब
‘सीआरपीसी’ (CrPC) दंड प्रक्रिया संहिता को संक्षिप्त में कहते है। दंड देने के लिए जिन प्रक्रियाओं को न्यायालय द्वारा अपनाया जाता है उनको ही इस संहिता में समाहित किया गया है | आज यहाँ हम आपको CrPC 1973 के बारे में वो सब कुछ बताएँगे जिसको जानने की ललक आपके मन में रहती है |
कानून को दो भागों में विभाजित किया गया है:
1. मौलिक विधि (Substantive Law)
2. प्रक्रिया विधि (Procedural Law)
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दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) का फुल फॉर्म
पहले हम इसकी फुल फॉर्म क्या होती है इसको जानते हैं ,CrPC की फुल फॉर्म क्या होती है | इसको यानि CrPC को क्रिमिनल प्रोसीजर कोड CRIMINAL PROCEDURE CODE कहते हैं इसे हिंदी में “दंड प्रिक्रिया संहिता “ कहते हैं आपको बता दे कि ये फुलफॉर्म क्या होता है | सी.आर.पी.सी (CrPC) 1983 भारत के सभी नागरिकों पर लागू है। यह कानून सन् 1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था | CrPC में कई बार संशोधन भी किया गया है । “दंड प्रिक्रिया संहिता” में 37 अध्याय तथा कुल 484 धाराएं हैं।
दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की महत्वपूर्ण धाराओं की सूची
- सीआरपीसी धारा 1 – संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ
- सीआरपीसी धारा 2 – परिभाषाएं
- सीआरपीसी धारा 3 – निर्देशों का अर्थ लगाना
- सीआरपीसी धारा 4 – भारतीय दंड संहिता और अन्य कानूनों के तहत अपराधों के परीक्षण
- सीआरपीसी धारा 5 – व्यावृत्ति
- सीआरपीसी धारा 6 – आपराधिक न्यायालयों के वर्ग
- सीआरपीसी धारा 7 – परिभाषाएं
- सीआरपीसी धारा 8 – परिभाषाएं
- सीआरपीसी धारा 9 – सत्र न्यायालय
- सीआरपीसी धारा 10 – परिभाषाएं
- सीआरपीसी धारा 11 – न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय
- सीआरपीसी धारा 12 – मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, आदि
- सीआरपीसी धारा 13 – विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट
- सीआरपीसी धारा 14 – न्यायिक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता
- सीआरपीसी धारा 15 – न्यायिक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना
- सीआरपीसी धारा 16 – महानगर मजिस्ट्रेटों के न्यायालय
- सीआरपीसी धारा 17 – मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट और अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट
- सीआरपीसी धारा 18 – विशेष महानगर मजिस्ट्रेट
- सीआरपीसी धारा 19 – महानगर मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना
- सीआरपीसी धारा 20 – कार्यपालक मजिस्ट्रेट
- सीआरपीसी धारा 21 – विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट
- सीआरपीसी धारा 22 – कार्यपालक मजिस्ट्रेटों की स्थानीय अधिकारिता
- सीआरपीसी धारा 23 – कार्यपालक मजिस्ट्रेटों का अधीनस्थ होना
- सीआरपीसी धारा 24 – सार्वजनिक सरकारी वकील
- सीआरपीसी धारा 25 – सहायक लोक अभियोजक
- सीआरपीसी धारा 26 – न्यायालय, जिनके द्वारा अपराध विचारणीय हैं
- सीआरपीसी धारा 27 – किशोरों के मामलों में अधिकारिता
- सीआरपीसी धारा 28 – दंडादेश, जो उच्च न्यायालय और सेशन न्यायाधीश दे सकेंगे
- सीआरपीसी धारा 29 – दंडादेश, जो मजिस्ट्रेट दे सकेंगे
- सीआरपीसी धारा 30 – जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास का दंडादेश
- सीआरपीसी धारा 31 – एक ही विचारण में कई अपराधों के लिए दोषसिद्ध होने के मामलों में दंडादेश
- सीआरपीसी धारा 32 – शक्तियां प्रदान करने का ढंग
- सीआरपीसी धारा 33 – नियुक्त अधिकारियों की शक्तियां
- सीआरपीसी धारा 34 – शक्तियों को वापस लेना
- सीआरपीसी धारा 35 – न्यायाधीशों और मजिस्ट्रेटों की शक्तियों का उनके पद-उत्तरवर्तियों द्वारा प्रयोग किया जा सकना
- सीआरपीसी धारा 36 – वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियां
- सीआरपीसी धारा 37 – जनता कब मजिस्ट्रेट और पुलिस की सहायता करेगी
- सीआरपीसी धारा 38 – पुलिस अधिकारी से भिन्न ऐसे व्यक्ति को सहायता जो वारंट का निष्पादन कर रहा है
- सीआरपीसी धारा 39 – जब कुछ अपराधों की इत्तिला का जनता द्वारा दिया जाना
- सीआरपीसी धारा 40 – ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित अधिकारियों के कतिपय रिपोर्ट करने का कर्तव्य
- सीआरपीसी धारा 41 – पुलिस वारंट के बिना कब गिरफ्तार कर सकेगी
- सीआरपीसी धारा 42 – नाम और निवास बताने से इनकार करने पर गिरफ्तारी
- सीआरपीसी धारा 43 – प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी और ऐसी गिरफ्तारी पर प्रक्रिया
- सीआरपीसी धारा 44 – मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी
- सीआरपीसी धारा 45 – सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ्तारी से संरक्षण
- सीआरपीसी धारा 46 – गिरफ्तारी कैसे की जाएगी
- सीआरपीसी धारा 47 – उस स्थान की तलाशी जिसमें ऐसा व्यक्ति प्रविष्ट हुआ है जिसकी गिरफ्तारी की जानी है
- सीआरपीसी धारा 48 – अन्य अधिकारिताओं में अपराधियों का पीछा करना
- सीआरपीसी धारा 49 – अनावश्यक अवरोध न करना
- सीआरपीसी धारा 50 – गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को गिरफ्तारी के आधारों और जमानत के अधिकार की इत्तिला दी जाना
- सीआरपीसी धारा 51 –
- सीआरपीसी धारा 91 – सम्मन दस्तावेज़ या दूसरी बात यह निर्माण करने के लिए
- सीआरपीसी धारा 107 – अन्य मामलों में शांति रखने के लिए सुरक्षा
- सीआरपीसी धारा 125 – पत्नियों, बच्चों और माता पिता के रखरखाव के लिए आदेश
- सीआरपीसी धारा 133 – उपद्रव को हटाने के लिए सशर्त आदेश
- सीआरपीसी धारा 144 – उपद्रव या गिरफ्तार खतरे के तत्काल मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति
- सीआरपीसी धारा 145 – प्रक्रिया जहां भूमि या पानी से संबंधित विवाद शांति का उल्लंघन करने की संभावना है
- सीआरपीसी धारा 151 – संज्ञेय अपराधों के आयोग को रोकने के लिए गिरफ्तारी
- सीआरपीसी धारा 154 – संज्ञेय मामलों में सूचना
- सीआरपीसी धारा 161 – पुलिस द्वारा गवाहों से पूछताछ
- सीआरपीसी धारा 164 – बयान और बयान की रिकॉर्डिंग
- सीआरपीसी धारा 174 – पुलिस द्वारा पूछताछ और आत्महत्या आदि पर रिपोर्ट
- सीआरपीसी धारा 197 – न्यायाधीशों और सरकारी कर्मचारियों के अभियोजन
- सीआरपीसी धारा 200 – शिकायतकर्ता से पूछताछ
- सीआरपीसी धारा 202 – प्रक्रिया के मुद्दे को स्थगित करना
- सीआरपीसी धारा 279 – आरोपी या उसके वकील को साक्ष्य की व्याख्या
- सीआरपीसी धारा 307 – माफी के निविदा को निर्देशित करने की शक्ति
- सीआरपीसी धारा 324 – पहले सिक्का, टिकट कानून या संपत्ति के खिलाफ अपराधों को दोषी ठहराए गए व्यक्तियों का परीक्षण
- सीआरपीसी धारा 340 – धारा 195 में उल्लिखित मामलों में प्रक्रिया
- सीआरपीसी धारा 354 – भाषा और निर्णय की सामग्री
- सीआरपीसी धारा 356 – पहले से दोषी ठहराया अपराधी का पता अधिसूचित करने के लिए आदेश
- सीआरपीसी धारा 376 – छोटे मामलों में कोई अपील नहीं
- सीआरपीसी धारा 397 – रिकॉर्ड के लिए कॉलिंग संशोधन की शक्तियों का प्रयोग
- सीआरपीसी धारा 420 – वारंट किसके साथ दर्ज किया जाना है
- सीआरपीसी धारा 435 – कुछ मामलों में केंद्र सरकार के परामर्श के बाद राज्य सरकार कार्य करेगी
- सीआरपीसी धारा 438 – गिरफ्तारी को पकड़ने वाले व्यक्ति को जमानत देने के लिए दिशा
- सीआरपीसी धारा 482 – उच्च न्यायालय की अंतर्निहित शक्ति की बचत
वादी (Petitioner), प्रतिवादी (Respondent) क्या होता है
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Thankyou ….Keep Visit …
sir act 201,302,34 h to kya jamanat ho sakti h
BAIL KE LIYE BAHUT SE FACTOR VARY KRTE HAIN..JAISE AAPKA CRIMINAL KOI RECORD NA RAHA HO PHLE…AAP AAGE INVESTIGATION ME COOPERATE KRENGE ..IS TRAH KE KAI FACTOR HOTE HAI …JIN PAR BAIL GRANT KRNA AUR NA KRNA NIRBHAR KRTA HAI…
Thank u for knowledge..
IPC KI IMPORTANT ACT K BAARE ME BATAIYE JO USE HOTE H…PLZ
we are covering firstly most imortant section which is commonly used in court n for exam point of view.
मुझे मेरे प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नही मिला crpc क्या है? यह है एरा प्रश्न?
CrPC अर्थात् Code of Criminal Procedure 1973 एक प्रक्रियात्मक कानून (procedural law) है। CrPC में अपराध के पंजीकरण, विवेचना, कोर्ट में विचारण, सजा, अपील इत्यादि के प्रावधान दिये गए हैं। CrPC आपराधिक मामले के लिए किए गए प्रक्रियाओं के बारे में बताती है. इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना है.